जो चाहते वो मिलता नहीं
जो मिलता है वो चाहते नहीं
ख्वाषिश नहीं हे जन्नत की
पूरी नहीं होती ये मन्नत भी
आज भी एक आस सा है
तेरा होने का एहसास सा है
पता नही तुम एक सपना सा हो
मगर हकीकत में अपना सा हो
तुझे आज भी भूल नहीं पाई
वो पहली एहसास को निकाल नही पाई
हर लम्हा एक मजुबरी है
किस्मत में तो अब दूरी है
मगर फिर भी एक आस सा हे
तेरा होने का एहसास सा हे
जब आखरी साँस में रहू
तब भी तेरी आस में ही जीयु
तुझे देख लू एक नज़र
बस खत्म करू अपनी ज़िन्दगी का सफ़र!!!!
@NIDHI.........